Demands up rupees one lakh per taxpayer : 1 फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक करोड़ टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत दी है और यह ऐलान किया कि वित्त वर्ष 2009 और 2010 तक की अवधि के लिए 25000 रुपए तक की डायरेक्ट टैक्स डिमांड और 2010- 11 से लेकर 2014 और 2015 तक ₹10000 तक के लिए बकाये इनकम टैक्स डिमांड को वापस लेने का ऐलान किया जाता है|
केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट पेश करते हुए 2015-2016 तक की छोटी कर मांगों को वापस लेने का प्रस्ताव दिया था| इसी के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने अपने आदेश में यह कहा है कि किसी भी करदाता का ज्यादा से ज्यादा ₹100000 तक की कर को माफ किया जाएगा| सरकार लगभग 3500 करोड़ की कर मांग को वापस लेगी|
Demands up rupees one lakh per taxpayer : वित्त मंत्री ने की घोषणा अंतरिम बजट पेश करते हुए:
2024 ,1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करते हुए मंत्रालय की तरफ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक करोड़ टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत देते हुए यह ऐलान किया कि वित्त वर्ष तक की अवधि के लिए ₹25000 तक का डायरेक्ट टैक्स डिमांड और 2010 से 11 और 2014 से 15 तक ₹10000 तक का बकाया टैक्स डिमांड को वापस लेने की जाती है|
Demands up rupees one lakh per taxpayer : होगी अधिकतम सीमा ₹100000:
वित्त मंत्रालय की तरफ से यह जारी हुआ कि एक करोड़ टैक्स पेयर्स को लाभ होगा और सीबीडीटी ने अपने आदेश में कहा कि 31 जनवरी 2024 तक आयकर और संपत्ति कर और उपहार कर ऐसी बकाया कर मांगों को ₹100000 की अधिकतम सीमा के तहत माफ कर दिया जाता है और ₹100000 की सीमा में कर मांग ब्याज जुर्माना उपकार घातक शामिल है| हालांकि आयकर अधिनियम के टीडीएस या टीसीएस प्रधानों के तहत कर संग्रहकरता के खिलाफ की गई अपील पर किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी| साथ ही साथ करदाता के खिलाफ चल रही किसी भी तरह की कोई कार्यवाही से भी उसे राहत नहीं मिलेगी|
Demands up rupees one lakh per taxpayer : जारी हुआ एलान:
इनकम टैक्स विभाग ने स्पष्ट रूप से यह जारी किया है स्काई टैक्स क्लेम डिमांड पर छूट देने और उसे खत्म करने की शुरुआत कर दी गई है सीबीडीटी ने अपने आदेश में यह कहा कि किसी भी टैक्स पेयर्स का ज्यादा से ज्यादा ₹100000 तक का टैक्स डिमांड को माफ किया जाएगा| एक बयान मे सामने आया है कि सीतारमण ने भाषण में कहा था की बड़ी संख्या में कई छोटी-छोटी प्रत्यक्ष कर मांग वही खातों में लंबित हैं| जो की वर्ष 1962 से भी पुरानी है ,इससे ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है और रिफंड को लेकर समस्या भी होती है|