MSP of wheat and paddy increased by Rs 800 in 10 years : विधि व्यवस्था की अनदेखी कर दिल्ली में किसानों की मांग में सभी फसलों के लिए गारंटी प्रमुख है| लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक 24 फसलों पर एमएसपी लागू कर रखा है ,अन्य कहीं फैसले इसके दायरे से अभी बाहर है| और खेती को लाभकारी बनाने और किसानों को छती से बचाने के लिए एमएसपी की व्यवस्था 6 दशक से चली आ रही है| किसान फिर से दिल्ली चल पड़े हैं, और उनकी मांग वही पुरानी है| एमएसपी को कानूनी दर्जा, और सरकार ने 2 साल पहले इसे लेकर समिति बनाई थी जिसमें किसानों ने अपना प्रतिनिधित्व नहीं भेजा था |लोकसभा चुनाव की दहलीज पर इस बार किसान प्रदर्शनकारी और सरकार के बीच कैसे और कब सामंजस्य बैठेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा |लेकिन आंकड़ों की सच्चाई यह है कि पिछले 10 सालों में फसलों की एमएसपी में 40 से 60 फ़ीसदी बढ़ोत्तरी हुई है और फसलों के उत्पादन में करीब 35% तक की वृद्धि हुई है और लगभग इतनी ही ज्यादा खरीद भी हुई है|
MSP of wheat and paddy increased by Rs 800 in 10 years : आमदनी में हुआ इजाफा
रिपोर्ट्स मीडिया के अनुसार किसान परिवार की औसत मासिक आय 6426 रुपए थी जिसके आधार पर केंद्र ने कृषि मंत्रालय का बजट बढ़ाया था और कई सारे प्रयोग भी किए गए| किसानों को नवीनतम तकनीक भी दी जिसका असर यह हुआ की 2018 और 2019 में किसानों की आमदनी बढ़कर 10218 रुपए हो गई और पिछले 5 वर्षों में भी लगातार लगभग ₹4000 की मासिक वृद्धि हुई है | 2013 और 14 में केंद्र ने कराया था |
MSP of wheat and paddy increased by Rs 800 in 10 years किसानों की स्थिति पर सर्वे
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की हाल ही में प्रकाशित एक पुस्तक में देश के सफल 75000 किसानों की सफलता की कहानियों का संकलन किया गया है,जिसमें किसानों की गाथाएं हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और केंद्रीय योजनाओं के जरिए अपनी आमदनी को 5 से 6 वर्षों में दुगना किया है और इसे अधिक बढ़ाने में भी सफलता पाई है| अगर बात करें कुछ साल पहले की तो 2013 और 2014 में केंद्र सरकार ने किसानों की स्थिति पर सर्वे भी करवाया था|
MSP of wheat and paddy increased by Rs 800 in 10 years 10 वर्षों में 5 गुना बड़ा कृषि बजट
कृषि क्षेत्र की प्राथमिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है 2013 से 14 में 27662 करोड रुपए के बजट को लगभग 5 गुना बढ़ाकर 2024 और 2025 के अंतरिम बजट में 1.27 लाख करोड रुपए कर दिया गया है और खेती की लागत को नियंत्रित कर किसानों की आय को बढ़ाने के उपाय को तलाशने के लिए 2016 में बनाई गई अंतर मंत्रालय समिति ने 2 वर्ष बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट में कृषि नीतियों, एवं कार्यक्रमों पर जोर दिया था| किसानों को फसलों की लागत पर आने वाली राशि से लगभग 50% अधिक दर न्यूनतम मूल्य तय किया जाता है और इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी फसल का मूल्य बाजार भाव से कम होने की स्थिति में सरकार न्यूनतम मूल्य तय कर किसानों को सहारा देती है और बात करें,तो आज 24 फसलों पर एसपी लागू है|
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