Government engaged in reducing challenges in agriculture 2024 : कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौतियों को कम करने में लगी सरकार, भूख और कुपोषण है सबसे बड़ी समस्या

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Government engaged in reducing challenges in agriculture 2024 : आईसीएआर के वार्षिक सम्मेलन में बुधवार को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने 22 तरह की फसलों की 24 किस्में जारी की है – गेहूं मक्का रागी सरसों सोयाबीन सूरजमुखी चना अरहर मसूर मोठ टमाटर भिंडी चोलाई और मटर आलू मशरूम एवं अमरुद शामिल है| आईये अब जान लेते हैं इस पूरी खबर के बारे में-

भारत में कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को कम करते हुए पोषण के साथ-साथ आत्मनिर्भरता पर भी जोर दिया जाता है और इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर की ओर से नवाचार को प्रोत्साहित किया जा रहा है|

Government engaged in reducing challenges in agriculture 2024 : 22 तरह की फसले

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आईसीएआर की वार्षिक सम्मेलन में बुधवार को किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने 22 तरह की फसलों को जारी किया है जिसमें से की धान गेहूं मक्का सवा रागी सरसों सोयाबीन सूरजमुखी चना अरहर मसूर टमाटर भिंडी चोलाई सिंह ,आलू मशरूम और अमरुद यह सभी शामिल हैं |

अर्जुन मुंडा ने लगाया सरकार पर आरोप:

एक बैठक में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह व कैलाश चौधरी उत्तर प्रदेश के पशुपालन और डेयरी मंत्री धर्मपाल सिंह नागालैंड के कृषि मंत्री माटुंगा यंथन और आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक यह सभी मौजूद थे और उस सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुंडा ने खेतों में जहर घुलने के लिए पूर्ण रूप से पूर्व भारत सरकार पर आरोप लगाया है और यह कहा कि खाद्यान्न में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता का भी ध्यान रखना जरूरी है जिस पर पूर्व भारत सरकार ने ध्यान नहीं दिया है|

कुपोषण और भूख सबसे बड़ी चुनौती:

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ऐसा गया है कि कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को कम करने के लिए देश को भूख और कुपोषण से निकलकर स्वस्थ पैदावार और प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने की दिशा में कई नवाचार किया जा रहे हैं और छोटे किसानों को इन अवसरों का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए|

कई उपलब्धियां के बावजूद भी कुछ चुनौतियां ऐसी हैं जिनका समाधान तलाशते हुए लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाना है और हमें जलवायु परिवर्तन से भी निपटना है तो इसमें आईसीएआर की बड़ी भूमिका होगी आईसीएआर ने 2005 से 2014 के दौरान अधिक पैदावार देने वाली 1225 फसले जारी की हैं, जबकि 2014 से 2023 के दौरान 22 तरह की ऐसी किस्म जारी की है जो कि लगभग दुगना है , और सरकार का ध्यान अब पोषण पर पूरी तरह है|

भारत की जनसंख्या अभी 1.04% की सालाना दर से बढ़ रही है | 2030 तक जनसंख्या 1.5 अरब अब तक पहुंचने का अनुमान है लेकिन इतनी बड़ी जनसंख्या का पेट भरने के लिए खाद्यान्न उत्पादन में अनेक समस्याएं हैं और जलवायु परिवर्तन न सिर्फ आजीविका पानी की आपूर्ति और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहा है| खाद्य सुरक्षा के लिए भी बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है , और अब यह सवाल पैदा होता है कि क्या भारत जलवायु परिवर्तन के खतरों के बीच आने वाले समय में इतनी बड़ी जनसंख्या का पेट भरने के लिए तैयार है?

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